गुरुवार, 23 जुलाई 2009

परंपरा

क्या है हमारी परंपरा
नहीं मालूम हमारे बच्चों को
न हमें गरज है नैतिक शिक्षा और संस्कार बताने की
परंपरा से आगे होने के चक्‍कर में
हम छोड़ देते हैं अपने पुराने परंपरा को

चौतरफे षडयंत्र की माफिक हो रहे हैं हमले
हमारी संस्कृति और परंपरा पर
स्वच्छंद और उन्मुक्‍त हो रहे हैं हम
हमें ज्ञान ही नहीं अपनी परंअपरा का
वे कर रहे नए ईजाद इस पर

और हमें दूर करने की ताना बाना है बुन रहे
पाश्‍चात्य संस्कृति की आँधी
क्या हमें उडा देगी
नहीं कमजोर हम इतने
यहा आँधी हमें क्या डराएगी?

करनी होगी कुछ तैयारी
खींचना होगा एक एक बड़ा दायरा
उस पाश्‍चात्य संस्कृति के वृत के ऊपर
हम अपनी संस्कृति के बड़े वृत के द्वारा
ही तो कर पाऐंगे उसकी शक्‍ति को निस्तेज ।

- गोपाल प्रसाद

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