राजनीति में ईमानदारी
और ईमानदारी की राजनीति,
राजनीति का अपराधीकरण
और अपराधियों का राजनीतिकरण
जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर
हो रहें अब चर्चे
क्योंकि ईमानदारी, सत्य और अहिंसा
शब्द तो अब
अप्रासंगिक हो चुके हैं
कौन करता है चर्चा इस पर
किसके पास है
बेफिजूल वक्त
इतने वक्त में तो
एक राजनीतिज्ञ करोड़पति बन जाएगी
इस देश की गाढी कमाई को
स्विस बैंक में जमा कर
हम देखते रह जाऐंगे
केवल चर्चा कर जाऐंगे
क्या कुछ हो सकता है
इन चर्चाओं से
क्या परिवर्त्तन की धारा बहेगी
इन फिजाओं से
ईमानदार युवाओं के हाथ में होगी
तभी दूर होगी देश की तमाम विकृति ।
- गोपाल प्रसाद
गुरुवार, 23 जुलाई 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
देश की स्वतंत्रता की ६२वी वर्षगांठ पर आप सभी को शुभकामनाएं , भ्रस्ट्राचार की आज़ादी , अपराधियों को आज़ादी , गरीबी बढ़ने की आज़ादी , अशिक्षा की आज़ादी , बाल श्रम को आज़ादी , सत्तासीनों को संविधानिक नियमो से खिलवाड़ करने और लोकतंत्र का राजतंत्र की तरह इस्तेमाल करने की आज़ादी और नौकरशाहों को लोकतंत्र से राजतंत्र को चलाने की आज़ादी , सरेआम अन्याय करने की आज़ादी , मैंने तो नहीं देखा पर जिन्होंने देखा वो कहते हैं की गुलामी के दिन आज़ादी से बेहतर थे . खैर जो जनता एक होकर देश को आजाद करा सकती हैं , वो अगर जागरूक हो तो क्या नहीं कर सकती , एक बार फिर से आज़ादी मुबारक हो फिर से जागरूक होने की आशायो सहित
जवाब देंहटाएं